कुछ वर्ष पहले तक शान् ता को पहचानना बहुत आसान था क् योंकि एक तो उसका स् थान घर से ज् यादा बाहर मोहल् ले के घरों में था दूसरे उसकी ताड़-सी लंबी देह पर बिना नाप का कोई बेढंगा कपड़ा ऐसा जरूर होता था जो थोड़े दिनों पहले तक देने वाले के अपने घर में उपेक्षित होकर पड़ा हुआ था।